Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 114( A Mortel Step-4)

"तुम दोनो चलो.. मै आ रहा हूँ...."मैने अरुण और सौरभ से कहा...

"तू कहाँ जा रहा है..."

"गॉगल्स तो ले लूँ...ताकि लड़ाई मे मैं हीरो दिखू,विलेन नही..."

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हम पर एफ.आइ.आर. करने वाले लड़के जाल मे फँस चुके थे और वो ग्राउंड पर हॉस्टल  के लड़को के बीच घिरे हुए थे. हॉस्टल  से निकलते वक़्त मैने सोचा था कि उन दोनो लड़को की चड्डी इस समय डर के कारण गीली हो रही होगी और वो सबसे हाथ जोड़कर विनती कर रहे होंगे कि उन्हे वहाँ से जाने दिया जाए, लेकिन जब मैं ग्राउंड पर पहुचा तो वहाँ बिल्कुल भी वैसा नही था. जैसा कि मैने सोचा था.... फर्स्ट ईयर  के वो दोनो लड़के इस वक़्त अपने दोस्तो से,जो कि उन्हे झूठ बोलकर यहाँ लाए थे, उनसे बहस कर रहे थे. वो दोनो वहाँ खड़े हॉस्टल  के 20 लड़को को धमकी दे रहे थे और साथ मे अपने दोस्तो को भी... राजश्री पांडे को मैने दूर खड़े रहकर ही मामले की जाँच करने के लिए भेजा जिसके बाद राजश्री पांडे, थोड़ी देर बाद राजश्री चबाते हुए मेरे पास आया और बोला..

"अरे कुछ  नही,साले अकड़ रहे है हरामी...  वो तो हम सब आपके इंतज़ार मे रुके हुए थे...वरना कब का साले को खून से नहला देते...."

"क्या बोल रहे है दोनो..."

"बोल रहे है कि उनपे जिसने भी हाथ उठाया उसे वो बाद मे गौतम और वरुण के साथ चुन-चुन कर मारेंगे..."

"तो तुम लोगो ने क्या सोचा है..."मैने वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर पुछा...

"कुछ  भी हो जाए अरमान भैया...हम तो आज पेलेंगे..."

"That's Spirit,My Boys... Let's Start the fun...😎"गॉगल्स पहने हुए मैं अरुण और सौरभ के साथ उन दोनों के पास गया और वहाँ खड़े सभी लड़को को दूर हटने का इशारा किया...
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उनके तरफ जाते हुए मैने सोचा कि अब वो दोनो लड़के अट्लिस्ट मुझे देखकर तो डर ही जाएँगे और मुझसे माफी भी माँगेंगे...लेकिन उन सालो ने इस बार भी मेरी Sixth Sense के इमॅजिनेशन की हत्या कर दी

"अरमान, हम तुझसे नही डरते... तू ये याद से अपने दिमाग़ मे बिठा ले कि एक दिन तू भी यही अपने इन लल्लुओ के साथ खड़ा होगा और मैं तुझे कुत्ते की तरह मारूँगा...."गुस्से से भरी अपनी लाल आँखे दिखाते हुए उन दोनो मे से एक ने कहा...जिसके बाद हॉस्टल  के सभी लड़के आगे बढ़े लेकिन मैने सबको वापस पीछे हटने के लिए कहा....

"मैं तो तुझसे डर गया...मुझे माफ़ कर दे....प्लीज ."उसकी आँखो मे आँखे डालकर मैं बोला"वैसे तूने कुत्ता मुझे कहा या खुद को..."

"तुझे कुत्ता कहा भडवे साले , अरमान "

ये सुनकर हॉस्टल  के लड़के और मेरे दोनो दोस्त ,जो उस समय मेरे पास ही थे,वो उसे मारने के लिए आगे बढ़े ही थे कि मैने एक बार फिर से सबको रुकने का इशारा किया...

"रुक जाओ बे, बात तो करने दो.... खैर, चल पुरानी बात छोड़ और ये बता,मेरा गॉगल्स कैसा लग रहा है...एक दम स्मार्ट दिख रहा हूँ ना मैं..."

"तेरे चूतिए गॉगल्स की तरह तू भी चूतिया दिख रहा है.."

ये सुनकर एक बार फिर सब आगे बढ़े ,जिन्हे रोक कर मैने कहा"अबे तुम्ही लोग मार लो,मैं तो यहाँ  हिलाने आया हूँ...पीछे जाओ सब... गुस्सा तो आने दो मुझे "

"अरे अरमान भैया...पेल दो साले को... आपकी बेज्जती बर्दाश्त नहीं हो रही, मुझसे..."राजश्री पांडे ने राजश्री का एक और पाउच मुँह मे डालते हुए चिल्लाया...

जिसके बाद मैने उस लड़के के सर के बाल को ज़ोर से पकड़कर खींचा और उसे गोल-गोल घुमाने लगा...

"मेरे गॉगल्स के बारे मे कुछ  नही बोलने का...साले खुद की शकल तो गधे की गू के जैसी है और मुझे बोलता है कि मैं हैंडसम नही हूँ..."

जब मैं उसके सर के बाल को पकड़ कर गोल-गोल घुमा रहा था तो अरुण ने एक हॉकी स्टिक ली और उसके पीठ पर हॉकी स्टिक से जोरदार प्रहार किया. जिसके बाद वो लड़का चीख उठा... लेकिन अरुण नही माना और हॉकी स्टिक से उसे पेलता रहा. हम दोनो को एक्शन मे देखकर भला सौरभ कैसे शांत रह सकता है,सौरभ ने दूसरे लड़के के कान पर एक मुक्का जड़ा और ज़मीन पर धक्का देकर उसे लातों से मारने लगा....वो दोनो लड़के इस समय हम तीनो की पिटाई से सिर्फ़ चीख रहे थे ,रो नही रहे थे...जबकि मैं चाहता था कि वो दोनो रोते हुए हमारे पैर पकड़ कर haमारे जूते चाटे और हमसे माफी की गुहार करें ..
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सौरभ दूसरे लड़के के कभी मुँह पर तो कभी पेट पर लात मारता और जब वो लड़का बचने के लिए गुम कर पलट जाता तो सौरभ कूद कर उसके पीठ पर लातो से प्रहार करता.... इधर मैने एक का बाल मज़बूती से पकड़ रखा था और अरुण अपने हाथ मे हॉकी स्टिक थामे उसके हाथ-पैर, पीठ-पेट...तोड़े जा रहे था....वो दोनो लड़के कुछ मिनट मे ही अधमरे से हो गये थे,लेकिन उन दोनों ने सॉरी अभी तक नही बोला था....

"अबे साले.. बकचोद.... तेरी माँ का.... मेरा चश्मा तोड़ दिया साले ने ."अभी तक मैने जिसका बाल पकड़ रखा था उसकी नाक मे एक मुक्का जड़ते हुए कहा और उसे ज़मीन पर फेक दिया....

"तू अभी अपने चश्मे को छोड़ और इनकी धुनाई कर..."उस लड़के के पैर पर ज़ोर से हॉकी स्टिक मारते हुए अरुण ने कहा....

"अबे, घर से दो बुक्स का पैसा मँगाया था, उसके बाद मैने बुक्स ना ख़रीदकर 1351 का ये गॉगल्स खरीदा और तू बोल रहा है कि......... ऐसा मार इसको की मार ये खाये, लेकिन दर्द इसकी माँ को वहा पर हो,जहा से ये निकला है और दोनों पैरो के बीच हॉकी स्टिक घुसा दे इसकी... ताकि जब कभी भी ये हगने बैठे तो इसे अपनी ग़लती का अहसास हो..."

"जो हुकुम मेरे आका..."बोलते हुए अरुण ने उस लड़को को पलटाया और उसके पिछवाड़े पर हॉकी स्टिक से मारने लगा....

मेरे गॉगल्स की मौत ने मेरे अंदर दफ़न गुस्से के ज्वालामुखी को भड़का दिया था, मैने अरुण को रोक कर उस लड़के को वापस सीधा किया और हवा मे हाथ उठाकर कसकर एक तमाचा उसके गाल पर मारा... जिससे मेरी पाँचो उंगलियो का प्रोजेक्शन उसके गाल पर बन गया... उसके बाद मैं दूसरी साइड गया और एक बार फिर से हवा मे हाथ उठाकर उसके दूसरे गाल पर भी पाँचो उंगलियो के निशान छाप दिए...जिससे उसने अपने गालो को अपने हाथो से ढक लिया

"हाथ हटा, गाल से .."उस लड़के ने जब अपने दोनो गाल पर हाथ रखे तो एक लात उसके हाथ पर मारते हुए मैने कहा और लगातार उसके हाथ पर मारता रहा

"सॉरी बोल...."एक और  लात उसके थोबड़े मे मारते हुए मैने कहा....

"सॉरी..."धूल और खून से सने मुँह को खोलते हुए उस लड़के ने इतना ही कहा.....
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"अरमान,एक ने तो सॉरी बोल दिया...लेकिन ये साला नही मान रहा...पता नही इसके अंदर अभी कितना दम बाकी है..."दूसरे लड़के पर सौरभ अब भी लात बरसाए पड़ा था....

"तू हट और देख.... ये एक मिनिट मे सॉरी बोलेगा..."

सौरभ को मैने दूर हटाया और ज़मीन पर लोट रहे उस लड़के के उपर दोनो पैर से एक साथ कुदा..जिसके बाद उसके मुँह से खून और सॉरी शब्द एक साथ निकला....
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उन दोनो को तो मैं ठोक चुका था,लेकिन मुझे अब गम मेरे गॉगल्स के टूटने का था ,क्यूंकी इसके लिए मैने दो बुक्स की कुर्बानी दी थी... उन दोनों  को मारने के बाद मैं वहाँ खड़ा होकर अपने चश्मे की मौत का दुख मना रहा था कि अचानक  मुझे एक आइडिया आया और मैने तुरंत पीछे मुड़कर उन दोनो लड़को का वॉलेट निकाल लिया. एक के वॉलेट मे 100-100 की 4 पत्तिया थी तो एक की वॉलेट मे 500 -500 की पत्तिया थी.. उन दोनो के वॉलेट से कुल मिलाकर लगभग 5000 मिले ,जिनमे से मैने हज़ार अपने दोनो खास दोस्तो को दिया और हज़ार का एक नोट वहाँ खड़े हॉस्टल  के लौन्डो की तरफ बढ़ाकर दो हज़ार अपने जेब मे रख लिए.....

"चलो...अब सब खिसक लो...इधर से.."अरुण ने सबको वहाँ से जाने के लिए कहा...

जब हम सब वहाँ से कुछ  दूरी पर आ गये थे तभी मुझे अचानक ना जाने फिर से गुस्सा आया और मैं ज़मीन पर दर्द से कराह रहे उन दोनो लड़को के पास पहूचकर दोनो के मुँह मे एक-एक लात जड़कर बोला

"Just Remember the Name, Bitche... It's Arman... और एक बात.... मेरे अंदर दिल और दया दोनों नही है...तुम दोनो जब भी ठीक होगे,मैं तुम दोनो को फिर से मारूँगा और इसी हालत मे ला पटकुंगा....याद रखना आज से तुम दोनो के दो बाप है ,एक बाप को तो तुम दोनो जानते हो और दूसरा बाप मैं हूँ..अपनी अपनी माँ को बोलना की कायदे से हर रात मेरा बिस्तर गरम करने आ जाया करें.... "

"और मैं तीसरा बाप..."अरुण दूर से ही चिल्लाया.... "मेरा भी बिस्तर गरम करने को बोल देना अपनी-अपनी माँ को..."
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"तो अब प्लान क्या है..."हॉस्टल पहुंचकर अरुण ने मुझसे पुछा...

"मैं सोच रहा हूँ कि 2001 प्राइस वाला गॉगल्स आज ही मॉल से ले आउ,जो मैने लास्ट वीक वहा देखा था

"भाड़ मे जाए तेरा वो गॉगल्स और अब ये बता कि करना क्या है...मुझे अब ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि मैने तेरा साथ देकर ग़लत किया, कही हम लंबे लफडे मे ना फँस जाए "अपने चेहरे को टॉवल से पोछते हुए सौरभ ने मेरे न्यू गॉगल्स लेने के प्लान को बीच मे ही रोक दिया

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